‘होमग्रोन टेल्स’ – ईशा होम स्कूल के बच्चों ने लिखी ये कहानियां
ईशा होम स्कूल के विद्यार्थियों ने लघु कहानियों की अपनी पुस्तक जारी की। यह पुस्तक 28 युवा लेखकों की कहानियों का संग्रह है। आइये जानते हैं इन कहानियों के बारे में और साथ ही कैसे शब्दों को बहुत ज्यादा महत्व देना हमारी बोध क्षमता को कम पैना कर सकता है।

ईशा होम स्कूल के विद्यार्थियों ने लघु कहानियों की अपनी पुस्तक जारी की। यह पुस्तक 28 युवा लेखकों की कहानियों का संग्रह है। आइये जानते हैं इन कहानियों के बारे में और साथ ही कैसे शब्दों को बहुत ज्यादा महत्व देना हमारी बोध क्षमता को कम पैना कर सकता है।
ईशा होम स्कूल के विद्यार्थियों ने लघु कहानियों की अपनी किताब जारी की, जिसका शीर्षक है ‘होमग्रोन टेल्स’। यह 8 से 18 साल तक के 28 युवा लेखकों - जो सभी आईएचएस के विद्यार्थी हैं - की लघु कहानियों का एक संग्रह है।
3 अप्रैल का दिन एक चमकीला और उत्साह व रोमांच से भरा दिन था, जब स्कूल का एक और सेमेस्टर समाप्त हो रहा था। इस दिन ईशा होम स्कूल (आईएचएस) के विद्यार्थी अपने माता-पिता, प्रेस के सदस्यों और बहुत से विशिष्ट अतिथियों के साथ स्कूल के तराना पैविलियन में जमा हुए।
होमग्रोन टेल्स पुस्तक:
इस पुस्तक के आकार लेने की प्रक्रिया क्विल क्लब लेखकों के सहयोग से संपन्न हुई। यह एक प्रकाशन संस्थान है जो स्कूली बच्चों को काल्पनिक कथाएं लिखने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें प्रकाशित करता है। इस प्रक्रिया में वह बच्चों को लेखन और प्रकाशन की प्रक्रिया के हर पहलू का अनुभव करने का मौका देता है। इस संग्रह में जिन 28 विद्यार्थियों की कहानियां हैं, उन्हें 150 आवेदकों में से चुना गया था। उनके लिए गहन विचार-विमर्श का एक सेमेस्टर आयोजित किया गया, जिसके दौरान उन्होंने समूह को सुझाव दिए, अनूठे चरित्रों को जीवंत किया और बड़ी मेहनत से अपने शिल्प को मांजा।
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उन्हें अपनी कोशिशों का फल एक विशेष समारोह में होमग्रोन टेल्स की रिलीज में मिला। हर कहानी अपने आप में विशिष्ट है, उनके अलग-अलग स्वरों से प्रेरित एक नाटिका का मंचन भी किया गया। युवा लेखक मंच पर आए, हरेक ने अपनी कहानी के किसी एक चरित्र को प्रस्तुत किया – जादुई नर्तक, डरावने भूत, जख्मी सैनिक और बॉलीवुड के सितारे। एक युवा विद्यार्थी ने उन पात्रों की दुनिया में घूमते हुए उनके रोचक घुमावों और मोड़ों का सामना किया और दर्शकों को खुद ये कहानियां पढ़ने और इन लोकों की खोज करने के लिए प्रेरित किया।
होमग्रोन टेल्स जल्दी ही प्रमुख बुकस्टोरों पर और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध होगी।
अभिव्यक्ति और अनुभूति
इस समारोह में सद्गुरु भी मौजूद थे और उन्होंने बताया कि किस तरह अनुभूति अभिव्यक्ति की पूरक है।
सद्गुरु:
लिखित शब्द का असर हमारे जीवन पर इतना ज्यादा होता है कि हम सोच भी नहीं सकते कि कुछ पढ़े बिना हम कैसे होते। हम जो तमाम विचार इकट्ठा करते हैं, उसे अभिव्यक्त करने की मानव मन की यह क्षमता एक अद्भुत चीज है। मैं जानता हूं कि हाल के समय में तमाम ऐसी तकनीकें आईं हैं जिन्हें लोग क्रांतिकारी मानते हैं मगर मैं कहूंगा कि इंसान ने सबसे बड़ा कदम तब उठाया था, जब पहला शब्द लिखा गया था।
बोध और अभिव्यक्ति के बीच यह अंतर है कि अभिव्यक्ति सामाजिक होती है जबकि बोध या अनुभव अस्तित्व-संबंधी होता है। लिखित शब्द के कारण हमारा मनोवैज्ञानिक विस्तार, अस्तित्व संबंधी विस्तार से कहीं ज्यादा अहम हो गया है। सृष्टि और सृष्टि का स्रोत धुंधला पड़ गया और लिखित शब्द बड़े पैमाने पर हमारे मन के मनोवैज्ञानिक घेरे में नाचता रहता है।
इसलिए, सभी युवा लेखकों से मैं कहना चाहता हूं, मैं आपको निराश नहीं करना चाहता मगर जितना समय हम अभिव्यक्ति में लगाते हैं, कम से कम उतना ही समय चेतन अनुभूति में भी लगाया जाना चाहिए। फिर हमारी अभिव्यक्तियां सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होंगी बल्कि उनकी काफी अहमियत होगी।
खैर यह बहुत बढ़िया बात है कि ये 28 बच्चे इस उम्र और अपने जीवन के इस चरण में अपनी किताब लेकर आए हैं। उन्हें बहुत-बहुत बधाई।
समीक्षाएं
‘इन 28 युवा लेखकों के साथ काम करने से हमें यह सीखने को मिला कि हमारे बच्चे न सिर्फ गहराई से सोचते हैं बल्कि उनके अंदर रूपरेखा बनाने, पेशेवराना ढंग से कहानियां लिखने की काबिलियत है, जो खुले बाजार में बाकी किताबों को टक्कर दे सकती हैं। वे समझते हैं कि काल्पनिक कथाओं के लेखकों को अपने पाठक का मनोरंजन करना पड़ता है और वे वाकई अपने काम को गंभीरता से लेते हैं।’ – रुचिरा मित्तल और हेमंत कुमार, क्विल क्लब लेखक
‘होमग्रोन टेल्स उस हर व्यक्ति की अलमारी में होना चाहिए, जो बह जाना चाहता है या उसे बह जाने की जरूरत है। मेरे साथ ऐसा ही हुआ और हर बार जब मैं उसमें खो जाऊंगा, तो ऐसा ही होगा।’ – इंद्रजीत हाजरा, लेखक ‘द बायोस्कोप मैन’
‘ये कहानियां गंभीर, मजेदार, संवेदनशील, साहसी और बहुत ही आनंददायक हैं। ऐसी जोरदार शुरुआत तारीफ के लायक है।’ – शोभा विश्वनाथ, पब्लिशिंग डायरेक्टर, कराडी टेल्स।
‘सरल और संवेदनशील से लेकर तेज गति की और दिलचस्प कहानियों में छिपी प्रतिभा ने मुझे हैरान कर दिया।’ – रीना आई.पुरी, कार्यकारी निदेशक, अमर चित्र कथा।